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मन तू भजो गुरु का नाम। टेक। दया मेहर से नर तन पाया, मत करना अभिमान। इक दिन खाली पड़ा रहेगा, जाई बसे षमषान।। मन तू... जो धन तुझको दिया गुरु ने, इससे कर कुछ काम। अन्त समय यूं ही लुट जाएगा, संग न जाई छदाम।। मन तू.. यह संसार रैन का सुपना, आय किया विश्राम। चार दिना के संगी सब हैं, अन्त न आवें काम।। मन तू... तते चेत करो सतसंगत, भजन करो आठो याम। यही भजन तेरे संग चलेगा, पावेगा आराम।। मन तू... दया मेहर सतगुरु से लेकर, चलो त्रिकुटी धाम। काल करम से बंधन छूटे, मिले पुरुश सतनाम।। मन तू..
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