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मुझे गुरु देव चरणों में लगा लोगे तो क्या होगा? भटकती सुर्त को पावन बना दोगे तो क्या होगा? न समरथ तुम सदृश कोई है आया दृष्टि में मेरे। शरण में इससे आया हूॅ बचा लोगे तो क्या होगा। तुम्हारे द्वार से कोई कभी खाली नहीं जाता। मेरी झोली भी भर करके उठा दोगे तो क्या होगा। दयालु दीन बन्धु नाम तेरे लोग कहते हैं। दया कर तुच्छ सेवक यदि बना लोगे तो क्या होगा। जानता हूं कि उसके योग्य भी मैं हूं नहीं स्वामी। हो पारस लौह को कंचन बना दोगे तो क्या होगा। बहुत बीती रही थोड़ी वो यह भी जाने वाली है। उस अन्तिम स्वांस लौं अपना बना दोगे तो क्या होगा।
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