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परम् पूज्य महाराज जी के आगामी कार्यक्रम.....
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जय गुरु देव
आज 24 मई 2018 से 29 मई 2018 तक जगह-जगह पर अखण्ड नाम धुनि चलाने का जो आदेश बाबा उमाकान्त जी महाराज ने दिया है उस संदर्भ में गुवाहाटी (असम) में प्रेमियों ने जो महाराज जी से प्रश्न पूछे एवं महाराज जी ने जो जवाब दिया वो आप लोगों की जानकारी के लिए यहाँ दिया जा रहा है।
आज 24 मई 2018 को गुवाहाटी (आसाम) में प्रेमियों ने जयगुरुदेव अखंड नाम धुनि करने के बारे में पूरी जानकारी करनी चाही तो बाबा उमाकान्त जी महाराज ने फरमाया कि यह ‘जयगुरुदेव’ नाम हमारे गुरु महाराज जी द्वारा जगाया हुआ नाम है। सन्त सतगुरु जब जीवों का काम करने के लिए धरती पर आते हैं तो एक वर्णात्मक नाम जगाते हैं। जब इसका मतलब लोग समझ जाते हैं तभी बोलकर अमल करके फायदा उठा पाते हैं। जैसे कुछ दिन पहले राधास्वामी जी महाराज आये, उन्होंने राधास्वामी नाम को जगाया। राधा माने सुरति और स्वामी माने कुल मालिक, सब का सिरजनहार, सतपुरुष। अब सुरति को स्वामी से जोड़ने के लिए गुरु की जरूरत पड़ती है। उस समय पर उन्होंने जोड़ने का काम किया था जिससे लोगों को पूरा लाभ मिला, बहुत से लोगों का उद्धार हुआ। अब वह इस दुख के संसार में आने वाले नहीं हैं।
जयगुरुदेव नाम को जब हमारे गुरु महाराज ने जगाया तो पहले जय और बाद में देव लगाकर ‘जयगुरुदेव’ नाम बता कर सच्चे गुरु को बीच में रखकर गुरु का पूरा काम किया। उनके चले जाने के बाद जयगुरुदेव नाम में मुसीबत - तकलीफों में राहत, यमदूतों से बचत की ताकत तो है लेकिन सुरति को शब्द के साथ जोड़कर मालिक का तद् रूप बनाने, नरक, चैरासी के जन्म मरण से छुटकारा दिलाने के लिए लोगों को समरथ गुरु से ध्वनात्मक नाम लेकर कमाई कर के पार होने की जरूरत है, लेकिन इस घोर कलयुग में कर्मों के बोझ से दबे हुए जीव की समझ में समर्थ गुरु व नाम रूप कुछ समझ में नहीं आ रहा है। लोग पशु पक्षियों की तरह खाने पीने व बच्चा पैदा करके दुनिया से चले जाने का निशाना बना रखे हैं तब लगातार जयगुरुदेव नाम की अखंड धुनि बोलने से कुछ कर्मों की सफाई तो जरूर होगी। धर्म-अध्यात्म समझ में आने लगेगा और जयगुरुदेव नाम बोलने का अभ्यास हो जाने पर, रट जाने पर मौत के समय भी जब मुंह से नाम निकलता रहेगा तो पीड़ा कम होगी, आराम से शरीर छूटेगा क्योंकि कहा गया है कि
कोटि कोटि मुनि जतन कराहीं। अन्त नाम मुख आवत नाहीं।।
बाबा उमाकान्त जी महाराज से नए प्रेमियों ने पूछा कि अखंड नाम धुनि किस तरह की जाए ? तो बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कहा कि एक लय में जयगुरुदेव जयगुरुदेव, जयगुरुदेव जय जय गुरुदेव
चार आदमी छह आदमी या इससे भी ज्यादा पहले बोलें । तब फिर 4- 6 आदमी इसी तरह से बाद में दोहराएं। जब वे लोग थक जाएं तब दूसरे लोग बैठ जाएं 24 घंटे चलने वाले अखंड नाम धुनि तीन-तीन, चार-चार घंटे की ड्यूटी बोलने वालों की लगा दें कि जिससे बोलने वालों को बीच बीच में अपनी दैनिक क्रिया करने व आराम का मौका भी मिल जाए ।
यह अखंड नाम धुन घंटा, दो घंटा की भी रोज की जा सकती है अच्छा तो यह हो कि शाम को भोजन बनने के बाद परिवार व बच्चों को इकट्ठा करके पहले जयगुरुदेव नाम धुनि करवाई जाए फिर उसके बाद में भोजन परोसा जाए। एक प्रश्न के जवाब में पूज्य महाराज जी ने कहा कि यदि लाउडसपीकर लगाने पर प्रतिबन्ध नहीं है तो लगा सकते हैं। इससे अधिक लोगों तक नाम पहुँच जायेगा। क्योंकि जब शिव जी पार्वती जी को भागवत कथा सुना रहे थे तब एक तोता ने कथा को छुपकर सुना था जिससे उसको अगला जन्म शुकदेव मुनि के रूप में मिला। अभिमन्यु गर्भ में रहते हुये ही सुनते-सुनते चक्रव्यूह भेदन सीख गया था। कुछ प्रेमियों ने महाराज जी से यह भी पूछा कि सन्तमत व सुरत शब्द योग की साधना में गुरु ही सब कुछ होते हैं और भौतिक तथा आध्यात्मिक विकास में मदद करते हैं और लोग साप्ताहिक सत्संग में, अपने-अपने घरों में, किसी भी मांगलिक कार्य में गुरु का फोटो लगाते हैं। भोजन बनाने के बाद गुरु को भोग लगाते हैं, दीपक-अगरबत्ती भी लगा देते हैं। दीपक-अगरबत्ती लगाना सन्तमत में जायज है या नहीं ?
महाराज जी ने जवाब दिया कि श्रद्धा और भक्ति में नियम में भी सहूलियत दे दी जाती है। अगर प्रेमी सन्तमत को पूरा नहीं समझ पाता है तो उसके मन में यह बात रहती है और करना चाहता है तो विरोध भी नहीं करना चाहिए। जब सन्तमत को समझ लेगा और सतगुरु का दर्शन अन्तर में मिलने लगेगा तो फिर भोजन अन्तर (साधना) में दिखा करके प्रसाद बना करके खाएगा और सुरत जो दोनों आंखों के बीच में बैठी हुई है वह बिन घृत दीप के आरती मालिक के तद् रूप सतगुरु की करती रहेगी। जब उनकी यानी मालिक की खुशबू सुरति को मिलेगी तो धूप अगरबत्ती दुनिया की खुशबू उसको भाएगी नहीं, अच्छी नहीं लगेगी। फिर जीव न तो इधर-उधर पेड़-पौधे, मंदिर-मस्जिद, पत्थर-मिट्टी पर माथा पटकेगा और ना इधर-उधर जाकर के गुरु की दया को खोजेगा। फिर जीव को गुरु के वचन याद आ जाएंगे कि -
खोज री पिया निज घट में बल्कि ना कि खोज री पिया मठ में।
महाराज जी से प्रेमियों ने यह भी पूछा कि - जो लोग मंदिर, मस्जिद, गुरु मूर्ति की पूजा करके उनसे कुछ प्राप्त करने पर ही विश्वास करते हैं, उनके बारे में आप कुछ बताइए।
महाराज जी ने कहा - हमारे गुरु महाराज ने कहा था कि जो लोग नामदान लेने के बाद सन्तमत को नहीं समझते हैं और पुरानी टेक में रहते हैं और लोगों को उलझाए रहते हैं ऐसे लोग सन्तमत का गला ही घोट देते हैं।
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जयगुरुदेव
परम् पूज्य सन्त उमाकान्त जी महाराज के आगामी कार्यक्रम
30 मई 2018 सत्संग सायं 6 बजे से स्थान :- रामलीला मैदान, शनी चौक, लाजपत नगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश (भारत) सम्पर्क :- उमाकान्त झा - 9055711379, 8802150266, हरीश शर्मा - 9899895302
31.05.2018 सत्संग सांय 5:00 से ग्लोबल डिग्री कॉलेज, ग्राम नारायनपुर, निकट त्रिवेणी शुगर मिल, तहसील टांडा, ज़िला रामपुर। रोशन लाल 9759696574, सत्यप्रकाश मौर्य 8954759967
1 जून 2018 सत्संग सायं 5 बजे से स्थान :- बरेली से बदायूँ रोड पर, चौवारी, रामगंगा से पहले, बरेली, उत्तरप्रदेश (भारत) सम्पर्क :- अमर सिंह - 9719875829, नारायण दास - 9720744603
2 जून 2018 सत्संग सायं 5 बजे से स्थान :- लखीमपुर से नानपारा रोड पर, जग्सर, लखीमपुर, उत्तरप्रदेश (भारत) सम्पर्क :- मंगूलाल - 9450233442, देशराज वर्मा - 9918055247
03 जून 2018 सत्संग सायं 5 बजे से स्थान :- सहेट महेट से 1.5 किलोमीटर पश्चिम, कटरा बाजार, श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश (भारत) सम्पर्क :- अवधेश शुक्ला- 9452066998, शिवाकांत तिवारी - 8127993289
04 जून 2018 सत्संग सायं 5 बजे से स्थान :- अचलपुर, रेहरा बाजार से 1 किलोमीटर पूर्व, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश (भारत) सम्पर्क :- तुलाराम शर्मा - 8218400557, गुरुदास वर्मा - 7800125844
05 जून 2018 सत्संग सायं 5 बजे से स्थान :- नंदी ग्राम, भरतकुण्ड, फैजाबाद से 12 कि.मी. इलाहाबाद रोड पर, फैजाबाद, उत्तर प्रदेश (भारत) सम्पर्क :- हरी शंकर पाण्डेय - 9795156466, राजेश्वरी प्रसाद तिवारी - 9305253928
06 जून 2018 सत्संग सायं 5 बजे से स्थान :- सन्डहा, रायबरेली से 48 किलोमीटर पहले जगदीशपुर रोड पर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश (भारत) सम्पर्क :- रामशंकर पाल - 8874219666, नंदकिशोर उपाध्याय 9415957732
07 जून 2018 सत्संग सायं 5 बजे से स्थान :- गोवर्धन मेला मैदान, चरखारी, महोबा, उत्तर प्रदेश (भारत) सम्पर्क :- बाबू कुशवाहा - 9651616862, भारत सिंह कुशवाहा - 9695975601
08 जून 2018 सत्संग सायं 4:30 बजे से स्थान :- कोरारी, गदन खेड़ा से पूरब 7 किलोमीटर, उन्नाव, उत्तर प्रदेश (भारत) सम्पर्क :- देवेन्द्र सिंह - 9455445334, संकटा प्रसाद शुक्ला - 9451719696
उज्जैन आश्रम 30.05.2018
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Updation On Wednesday, May 23, 2018
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