घटना अकबर बादशाह के समय की है | एक बार उसने बीरबल से कहा “बीरबल तुम
कहते हो कि तुम्हारा भगवान भक्तों की पुकार पर खुद दुनिया में चला आता है” |
तो मेरी समझ में यह नहीं आता कि वह खुद क्यों आता है उसके यहां तमाम नौकर
चाकर होंगे क्यों नहीं उनको भेज देता | बीरबल ने कहा “जहाँपनाह ! इसका जवाब
मैं आपको दूँगा |” जहांगीर अकबर का सबसे बड़ा पुत्र था और बड़ी मन्नतें और
पूजा के बाद वह पैदा हुआ था | इसलिए अकबर उसे बहुत प्यार करता था | वह उस
समय गोद में था | बीरबल ने जहांगीर की शक्ल का एक पुतला बनाया और उसे वैसे
ही वस्त्र पहनाए जैसा कि जहाँगीर पहनता था | दूर से देखने पर लगता था कि वह
सलीम ही है | बीरबल ने शाहीबाग में तालाब के किनारे उस पुतले को रख दिया |
और अपने दो चार आदमियों को उस पुतले के पास नियुक्त किया जिससे ऐसा मालुम
होता था कि वे लोग बच्चे को खिला रहे हैं | पुतले के नीचे से एक पतले तार
को जोड़कर कुछ दूर तक फैला दिया जिससे तार के हिलते ही पुतला कूद कर तालाब
में गिर पड़े |
सब प्रबन्ध करने के बाद बीरबल अकबर के पास पहुंचा और बोला “जहांपनाह बहुत
दिनों से आप ने शाहीबाग की सैर नहीं की | चलिए आज टहल आइए |” अकबर तैयार हो
गया और दोनों शाही बाग में पहुंचे | अकबर ने तालाब के किनारे बैठे पुतले
को देखा उसने समझा कि सलीम खेल रहा है | खैर कोई बात नहीं | वह घूमता रहा
इतने में बीरबल ने धीरे से तार को खींच लिया और पुतला पानी में, उछल कर गिर
पड़ा | उसके पास खड़े कर्मचारी चीख पड़े | अकबर बादशाह ने भी न आव देखा न
ताव और पानी में कूद पड़ा | उसके मुख से चीख निकल पड़ी “हाय सलीम” |
पानी में उसके हाथ वही पुतला लगा उसे देखकर वह क्रोधित हो गया और बोला
“बीरबल यह कैसा मज़ाक तुमने मेरे साथ किया है |” बीरबल ने शांत स्वर में
जवाब दिया | “जहाँपनाह तमाम नौकर चाकरों के रहते हुये आप को पानी में कूदने
की क्या जरुरत थी | अकबर को अपनी बातों का जवाब मिल चुका था | उसका क्रोध
शाँत था | उसने कहा कि बीरबल ठीक है भक्तों की पुकार पर खुदा को खुद आना
पड़ता है |