एक
बहेलिया था जो प्रतिदिन शिकार करता तथा उसी से अपने परिवार का भरण-पोषण
करता था | जीवन में एक मात्र इस कार्य को करते हुए वह ऊब सा गया था | सिवाय
शिकार करने के उसे और कुछ न आता था | समय बीतता गया | एक दिन कि बात है कि
वह सुबह से दिन के तीसरे पहर तक जंगल में घूमता रहा पर उसे उस दिन कोई
शिकार न मिला | वह चिंतित हुआ कि आज मैं परिवार वालों को क्या खिलाऊंगा |
अंत में संध्या समय जब वह निराश होकर घर लोटने लगा तो उसे एक हिरणी दिखायी
दी | बहेलिया बहुत प्रसन्न हुआ तथा संधान कर एक तीर उस हिरणी पर छोड़ा |
तीर उसे लग गई ओर वह जंगल की ओर भागी | भागते-भागते वह उस स्थान पर पहुंची
जहां एक साधू माला जप रहे थे | हिरणी यह सोच कर वहाँ बैठ गयी कि साधू मेरी
रक्षा कर लेगा | वह लालची शिकारी भी हिरणी के पद चिन्हों और रक्तपात
चिन्हों को देखते हुए जंगल के बीच उसी स्थान पर जा पहुंचा जहाँ हिरणी बैठी
थी | अब वह साधू के कारण शिकार को मारने में डरने लगा | साधू इस बात को समझ
गया, पर उस हिरणी के सुन्दर और चमकीले खाल ने मोहित कर लिया | साधू सोचने
लगा कि इसके सुनहरे खाल पर बैठकर पूजा करने में अति आनन्द मिलेगा और यही
सोचकर वह माला से ही शिकारी को संकेत दिया कि वह हिरणी को मार दे | इस
प्रकार शिकारी ने हिरणी को मार दिया | कुछ दिनों में उन दोनों साधू तथा
शिकारी को भी काल ने यमलोक पहुंचा दिया और वहां उनका न्याय हुआ |
दूसरे जन्म में हिरणी एक राजा के यहां लड़की कि योनि में आयी तथा साधू
और शिकारी एक दूसरे का भाई बनकर दूसरे राजा के यहां जन्म लिये | साधू छोटा
भाई था तथा शिकारी बड़ा भाई | जब बड़ा राजकुमार विवाह के योग्य हुआ तो उसका
विवाह उसी राजकुमारी से तय हुआ | बारात बड़े धूम-धाम से गयी | छोटा
राजकुमार सहवाला बना था | विवाह सम्पन्न होने के बाद राजकुमारों को कोहवर
में भेजा गया | वहां केवल राजकुमारी थी तथा दोनों राजकुमार थे | बड़ा
राजकुमार थका होने के कारण सो गया था | राजकुमारी उसे देखकर बहुत प्रसन्न
हुई तथा यह सोचने लगी कि इनके कमर में कटार खोंसने से कितना सुन्दर लगेगा |
यह सोचकर उसने बड़े राजकुमार के कमर में कटार खोंस दिया | वह भूल से कपड़े
के बाद पेट में भी चला गया और राजकुमारी ने उसे और भी ठोक दिया कि वह
अच्छी तरह बैठ जाय और फिर वह सो गयी | सुबह होने पर राजकुमारी बड़े
राजकुमार को जगाने लगी पर वह तो मर चुका था | फिर तो राजकुमारी बड़ी दीन
होकर जोरों से विलाप करने लगी | जब लोगों ने बाहर से दरवाजा खोला तो वह
दृश्य देखकर बड़े दुखी हुए | राजा ने पूछा कि यह कैसे हुआ तो कोई भी कुछ
उत्तर न देता था | राजकुमारी रो रही थी तथा छोटा राजकुमार चुप-चाप बैठा था |
राजकुमारी ने रोते हुए छोटे राजकुमार की ओर संकेत किया | तब उस बिचारे
निर्दोष छोटे राजकुमार को पैर हाथ से हीन कर दिया गया तथा कठोर दण्ड दिया
गया |
इस प्रकार साधू शिकारी तथा हिरणी प्रत्येक ने आपस में एक दूसरे से उचित
रूप से बदला लिया | अत: इस संसार में हम दूसरों से जितने भी अच्छे या बुरे
व्यवहार करते हैं, ठीक उतना ही भोग हमें प्राप्त होता है | जगत का आधार ही
आदान-प्रदान है | इसीलिए संत जन हमे आदेश देते हैं कि जीवों को न सताओ न
उन्हें खाओ और न किसी के साथ दुर्व्यवहार करो | सदा सदाचारी तथा चरित्रवान
बनने का ही प्रयत्न करो |