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श्री
गुरु गोविन्द सिंह जी आनंदपुर में रह रहे थेl मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन
शहर से कुछ साधू गुरूजी के दर्शनों के लिए चलेl ये सब वैष्णव थे जो
मांसाहारी नही थे और यहाँ तक कि जीव हत्या के विरोधी थेl वे तो गुरु साहिब
के दर्शन करने के लिए अपने मन की शांति प्राप्ति के लिए आये थे परन्तु जब
उन्होंने देखा कि गुरु गोविन्द सिंह जी एक पंछी को बाज़ से लडवा रहे है और
पंछी लहूलुहान हो रहा है, उनके मन को दुःख पंहुचाl पंछी तड़प रहा था, उनको
यह काम पसंद नही आयाl उन संतों में एक नौजवान साधू ने अपने नाक को चढ़ाते
हुए गुरूजी की तरफ देखाl गुरूजी उन सब साधुओं की मन की दशा जान गये, साधुओं
की शंका दूर करने के लिए अपने पास बुलाया और बताया कि ये पंछी जो तड़प रहा
है पहले जन्म में चोर थाl ये जो बाज आप देख रहे हो पहले जन्म में राजा थाl
हजारों साल पहले पिछले जन्म में मै दुष्टदमन के नाम से प्रसिद्ध थाl मै
समाधि लगाकर बैठा हुआ था, यह जो अब बाज है वो पिछले जन्म में राजा था, मेरा
शिष्य थाl यह मुझे गुरु मानता था और बहुत विश्वास करता थाl इस चोर ने राजा
के महल से चोरी की, राजा के सिपाहियों ने जाँच-पड़ताल करने पर पाया कि इस
राजा की चोरी इस चोर ने की हैl जब चोर को राजा के पास ले जाया गया तो चोर
चोरी से मुकर गया और कहने लगा कि मुझे दुष्टदमन की कसम मैंने चोरी नही की,
क्योंकि राजा मेरा शिष्य था इसलिए राजा ने मेरी कसम उठाने वाले चोर पर
विश्वाश करके चोर को छोड़ दियाl इस झूंठी कसम के कारण इस चोर को बार-बार
जन्म लेना पड़ रहा हैl इस जन्म में वह चोर पंछी बना हुआ है और वह राजा बाज
बना हुआ हैl हमारे मन में आया कि यह तो जन्म-मरण का चक्कर लगा रहेगा,
क्यों न इस पंछी को झूंठी कसम का फल भुक्ताकर दोनों को मुक्ति दे दी जाये,
इसलिए इस पंछी को बाज से मरवाकर मुक्ति दिलवा रहा हूँl सब साधुओं ने गुरूजी
को शीश नवाया और बताया कि कभी भी किसी की सच्ची या झूंठी कसम मत खाओl
मालिक ने जीवों की रचना दोषयुक्त की है परन्तु हंस रूपी संतजन जलरूपी दोष
को छोडकर दुग्ध रूपी गुण को ही ग्रहण करते हुए जीवों को दोष-रहित कर कल्याण
करते हैl संसार की कुटिलता से बचना बहुत कठिन हैl गुरु महाराज ने दया करके
जीवो के जन्म-जन्म का भार अपने उपर लेकर नामदान बक्स दिया लेकिन हम संसारी
कार्यवाही में लिप्त होकर गुरु वचनों पर श्रद्धा नही शंका करने लगते हैl
संत सरल चित्त और जगत हितकारी है, जबकि हम अपनी कुटिलता सिद्ध करने में
गुरु की झूटी कसम खाने तक को तैयार हैl
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